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Chapter 1 - अध्याय 1: खिड़की के पास बैठी लड़की

अध्याय 1: खिड़की के पास बैठी लड़की

सुबह से ही आसमान में बादल छाए हुए थे। हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, और पूरा कस्बा जैसे किसी पुराने चित्र की तरह दिख रहा था — धुंधला, शांत और खूबसूरत।माया अपनी छोटी-सी आर्ट गैलरी की खिड़की के पास बैठी थी। उसके सामने अधूरी पेंटिंग पड़ी थी — एक लड़का, जो समुंदर के किनारे खड़ा था। उसने ये चित्र अपने सपने में देखा था, पर याद नहीं था कि वो चेहरा किसका था।

बारिश की बूँदें काँच पर टकरा रही थीं, जैसे कोई धीमा संगीत बज रहा हो। माया ने गहरी साँस ली, मिट्टी की खुशबू महसूस की और धीरे से मुस्कुराई।"बारिश सब कुछ साफ कर देती है… लोगों की झूठी मुस्कानें भी," उसने धीरे से कहा।

उसी वक्त, बाहर से गिटार की मधुर धुन सुनाई दी। वो आवाज़ सड़क के उस पार वाले छोटे कैफ़े से आ रही थी — वही नीले दरवाज़े वाला कैफ़े, जहाँ हमेशा पीली रोशनी झिलमिलाती रहती थी।

जिज्ञासावश माया ने अपनी छतरी उठाई और बाहर निकल गई। बारिश ने उसे जैसे पुराने दोस्त की तरह गले लगा लिया।वो कैफ़े के अंदर गई तो देखा — एक लड़का खिड़की के पास बैठा था, गिटार बजा रहा था। उसके बाल थोड़े भीगे हुए थे, आँखें बंद, और चेहरा किसी अनकही कहानी से भरा।

माया कुछ देर वहीं खड़ी रही — चुपचाप।

लड़के ने आँखें खोलीं।उनकी नज़रें मिलीं।पल भर के लिए समय थम गया।

माया के होंठों पर हल्की मुस्कान आई। लड़के ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया।

और उस पल बारिश कुछ और तेज़ हो गई — जैसे आसमान खुद इस मुलाकात का गवाह बनना चाहता हो।

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